तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी वीसीके इडुक्की के चाय बागान क्षेत्र में अपनी उपस्थिति का कर रही है विस्तार।
विदुथलै चिरुथैगल कत्चि (वीसीके), एक तमिल राष्ट्रवादी राजनीतिक पार्टी, केरल के इडुक्की जिले के चाय बागान क्षेत्रों में अपनी राजनीतिक पहुंच बढ़ा रही है। यह पार्टी मुख्य रूप से दलित अधिकारों के लिए काम करती है और तमिल चाय श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए केरल में सक्रिय हो गई है।

पार्टी की पृष्ठभूमि
वीसीके, जिसे पहले दलित पैंथर्स ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता था, 1982 में तमिलनाडु के मदुरै में स्थापित हुई थी। यह पार्टी जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ लड़ती है और तमिल राष्ट्रवाद पर मजबूत जोर देती है। इसके अध्यक्ष थोल. तिरुमावलवन हैं, जो चेन्नई के एक वकील हैं।
केरल में वीसीके की गतिविधियां
2000 के दशक की शुरुआत में, वीसीके ने केरल के मुन्नार क्षेत्र में तमिल चाय श्रमिकों के लिए भूमि की मांग करना शुरू किया। पार्टी का तर्क था कि इन श्रमिकों के पूर्वज 19वीं सदी में अंग्रेजों द्वारा तमिलनाडु से चाय बागानों में काम करने के लिए लाए गए थे, लेकिन आज तक वे भूमिहीन हैं।
मुन्नार और आसपास के क्षेत्रों में लगभग 15,000 तमिल श्रमिक काम करते हैं, जिनमें से केवल 700 को अब तक कत्तयारवेली में भूमि मिली है। हालांकि 2,300 और लोगों को टाइटल डीड मिले हैं, लेकिन उन्हें अभी भी भूमि का आवंटन नहीं मिला है।thefederal
सामाजिक न्याय की लड़ाई
वीसीके ने 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन से भूमिहीन तमिल दलित चाय श्रमिकों को भूमि प्रदान करने का वादा कराया था। हालांकि, इस प्रक्रिया में काफी देरी हुई है और अधिकांश परिवारों के पास अभी भी कोई भूमि नहीं है।
पार्टी का आरोप है कि भूमि आवंटन में जातिगत भेदभाव हो रहा है, जहां प्रभावशाली जातियों के लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि दलित समुदाय के लोगों की उपेक्षा की जा रही है।
ऐतिहासिक संदर्भ
इडुक्की जिले के देवीकुलम और पीरमेड तालुकों में तमिल आबादी का बहुमत है। 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के दौरान, इन क्षेत्रों को तमिलनाडु को नहीं दिया गया था, जबकि ऐतिहासिक रूप से ये क्षेत्र तमिल भाषी बहुल थे।theweekendleader
वर्तमान चुनौतियां
चाय बागान के श्रमिकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है:
- कम मजदूरी: तमिलनाडु के चाय श्रमिकों की तुलना में केरल के श्रमिकों की दैनिक मजदूरी कम है
- आवास की समस्या: सेवानिवृत्ति के बाद श्रमिकों को कंपनी के आवास छोड़ने पड़ते हैं
- बुनियादी सुविधाओं की कमी: स्ट्रीट लाइट, बस सेवा और चिकित्सा सुविधाओं का अभावnewindianexpress+1
वीसीके की केरल में बढ़ती उपस्थिति तमिल चाय श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पार्टी का मुख्य उद्देश्य इन श्रमिकों को भूमि दिलाना और उनके साथ हो रहे जातिगत भेदभाव को समाप्त करना है।
- https://thefederal.com/news/the-no-lands-men-in-munnars-tea-estates-2
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